रेली बाड़े से होते हुए हुए सराफा बाजार , दौलतगंज , आदि क्षेत्रों से निकाली गई ।
इस दौरान कार्यकर्ताओं द्वारा चाइना भगाओ देश बचाओ ,
स्वदेशी अपनाओ देश बचाओ , सन 62 का युद्ध याद करो चाइना को बर्बाद करो , देश का हो रहा है बंटाधार चाइना हो रहा मालामाल , चाइना माल में खोट है ग्राहकों के साथ चोट है ,
आदि नारे लगाए गए ।
इस अवसर पर ग्राहक पंचायत ग्वालियर के विभाग संगठन मंत्री प्रशांत जी ग्वालियरी , महिला जिला प्रमुख आशा सिंह जी राजावत , सह प्रमुख प्रियंका जी राजावत , जिला सचिव देवी सिंह जी राठौड़ जिला प्रभारी लोकेंद्र जी मिश्रा , जिला प्रचार प्रमुख आकाश जी सोनी , घनश्याम जी भदोरिया सरविंदर जी चौहान , विवेक जी ओझा , राहुल जी शर्मा , बृजेश जी राय , एमके त्रिपाठी जी , हरीश जी भार्गव राम जी मीणा दिलीप जी धाकड़ कृष्णा जी शर्मा हरि ओम जी शर्मा, पप्पू जी शर्मा भरत जी धाकड़, कमल जी पटेल , अरविंद जी कुशवाह आदि कार्यकर्ता गण उपस्थित रहे
क्या भारत के सवा सौ करोड़ ग्राहक बंधुओं को चीन की समृद्धि और अपनी बर्बादी का रास्ता चुनना चाहिए? जी हाँ, अपनी बर्बादा का रास्ता हम स्वयं चुन रहे हैं। आज बाजार में जिस तरफ भी नज़रे घुमाइए हर तरफ चीनी सामान की भरमार है।
घरेलु सामान से बच्चो के खिलौने, बर्तन, सजावट की चीजे, मोमबत्तियां देवताओ की मूर्तियाँ , इलैक्ट्रोनिक सामान, फोन, मोबाइल, जूते, टी शर्ट आखिर क्या नहीं है। यह सामान हमारे अपने घरेलू उद्योग द्वारा निर्मित वस्तुओं से कम कीमत पर मिलता है इसीलिए हमारे उद्योग चौपट हो रहे हैं।
बाजार के लिए उत्पादन से सस्ता है चीन से आयात।
स्वाभाविक है कि उनकी प्राथमिकता देशहित नहीं, निजहित है। लेकिन आपातकाल में निजहित से पहले देशहित होता है
यह हमारे लघु उद्योगों को नष्ट कर हमें आर्थिक रूप से कमजोर करने की कुटिल चाल है।
1962 से लगातार चीन अपनी चिर पुरातन षड्यंत्रकारी युद्ध नीति ‘पहले मित्र बनाओ और फिर पीठ में छुरा घोंपकर अपने हित साधो’’ का अनुसरण कर रहा है।
भारत के पड़ोस में स्थित सभी छोटे-बड़े देशों को आर्थिक एवं सैन्य सहायता देकर अपने पक्ष में एक प्रबल सैन्य शक्ति खड़ी करने में चीन ने सफलता प्राप्त की है।
चीन पाकिस्तान को परमाणु ताकत बनने में मदद कर रहा है और उसकी मिसाइल क्षमता को मजबूत करने में जुटा है। वह हमारे ही पैसे से अपनी व पाकिस्तान सेना को मजबूत कर रहा है ।
अपने सस्ते मगर घटिया सामान से हमारे बाजारों को पाट देना चाहता है जिससे हमारी मानसिकता दूषित हो जाए अर्थात् हम उसपर निर्भर हो जाए ताकि वह मनमानी कर सके। बिना वारंटी-गारंटी के सस्ते ये इलेक्ट्रानिक सामान हमारी पसंद बनते जा रहे हैं जो बेहद खतरनाक है।
हमारे बाजार से होने वाली कमाई से चीन मालामाल हो रहा है तो हमारी कंपनियां कंगाल। लाखों लोगों से रोजगार छिन रहे हैं। इसके बावजूद हम सस्ती चीजों पर झूम रहे हैं।
एक सर्वेक्षण के अनुसार हमारा एक -चौथाई औद्योगिक उत्पादन चीन पर आश्रित हो चुका है जो अगले पांच साल में ये बढ़कर तीन-चौथाई अर्थात् 75 फीसदी तक पहुंच जाएगा।
आखिर हम क्यों भूलते हैं कि आर्थिक गुलामी का अगला पड़ाव राजनैतिक गुलामी ही होता है।अंग्रेजो ने भी इसी तरह से सस्ता माल उपलब्ध करवा पहले व्यापार और फिर देश की दुर्दशा की थी।
पाकिस्तान से लेकर श्रीलंका, म्यांमार और नेपाल तक चीन ने सामरिक महत्व के ऐसे अड्डों पर कब्जा कर लिया है जिसे भेदना बेहद कठिन है। इसके बावजूद चीन की वस्तुयें खरीद-खरीद कर हम चीन को आर्थिक मजबूती प्रदान कर रहे हैं
चीन निर्मित सामान खरीदने से पहले हमें यह अवश्य जानना चाहिए कि भारतीय उत्पादों की विश्वनीयता चीनी सामान से कहीं ज्यादा है वरना पाकिस्तान के ट्रक ड्राइवर भारतीय टायर लेना ही पसंद क्यों करते जबकि वह पाकिस्तान का सबसे बड़ा शुभचिंतक है।
यह फैसला हो ही जाना चाहिए कि क्या भारत माता की छाती पर पैर रखने के दुस्साहस के बाद भी चीन हमारा शुभचितक हो सकता है? क्या ‘चाइनीज माल’ खरीद हम उसकी मदद और स्वयं से छल नहीं कर रहे हैं? क्या हमें सारी दुनिया के सामने एकबार फिर साबित नहीं करना चाहिए कि हम भूखे रहकर भी देश की अस्मिता की रक्षा करने का अभ्यास नहीं भूले हैं। महंगा ही सही, स्वदेशी खरीदेगे।
यदि आज हम सक्रिय नहीं हुए तो कल बहुत देर हो चुकी होगी। इतिहास की भूलों को दोहराने की बजाय ऐसा इतिहास बनाने की दिशा में बढ़ना है तो ‘सस्ता सामान’ नहीं ‘सुरक्षा और सम्मान’ हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। देश की कोटिशः ग्राहक जनता चीन की दादागिरी का मुंह तोड़ जबाव देना जानती है इसलिए जरूरी है चीन निर्मित वस्तुओं का बहिष्कार! इस अति महत्वपूर्ण कार्य जिसे राष्ट्रधर्म भी कहा जा सकता है, की शुरुआत किसी दूसरों को नहीं बल्कि आपको और मुझे करनी है। आज और अभी दृढ़प्रतिज्ञ होने की बेला है। आइए हम संकल्प ले- चीन के बहिष्कार का! हम भारत माता की संतान है तो अपनी मातृभूमि का अपमान करने वालों को बर्दाश्त करने का विचार भी हमारे मन में नहीं आ सकता। स्वदेश प्रेम हमारे लिए केवल नारा नहीं व्यवहार है, भारतभू को कुदृष्टि से देखने वालों को सबक सिखाना हमारा अधिकार है।
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ग्राहक पंचायत ग्वालियर ?